छत्तीसगढ़ बोर्ड असाइनमेंट 5 कक्षा 12अर्थशास्त्र सोल्यूशंस 2021-2022
सीजी बोर्ड असाइनमेंट 5 कक्षा 12वीं अर्थशास्त्र फुल सलूशन, अर्थशास्त्र assignment 5, assignment 12th class, cg board class 12th अर्थशास्त्र assignment 5, CG board assignment 05 Class 12th अर्थशास्त्र full solution, छत्तीसगढ़ बोर्ड असाइनमेंट 5 कक्षा 12वीं अर्थशास्त्र सलूशन पीडीएफ
नमस्कार दोस्तों CG Board द्वारा दिसम्बर महीने का कक्षा 10 और 12 के सभी बिषय के असाइनमेंट आ चुके है सभी विद्यार्थी को अपना असाइनमेंट बना कर निर्थारित समय सीमा में जमा करना है इस बर्ष covid 19 संक्रमण के कारण क्लासेज नहीं लग पाई जिसके कारण कही न कही हमारी पढाई प्रभावित हुई है यदि आप main एग्जाम में अच्छा स्कोर करना चाहते है तो आपको बोर्ड द्वारा जारी असाइनमेंट को अच्छे से हल करना है क्योकि यदि संक्रमण बढ़ता है और एग्जाम केंसल होती है तो पूर्व के अंको के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जायगा दोस्तों आपको बता दे की इस बर्ष छत्तीसगढ़ बोर्ड असाइनमेंट- 05 कक्षा-12वीं अर्थशास्त्र का असाइनमेंट आ चूका है जिसे आपको समय अवधि में जमा करना है हम आपके लिए CG Board assignment- 05 class- 12th अर्थशास्त्र solution लेकर आ चुके है साथ ही आपको डाउनलोड pdf देने वाले है.
दोस्तों यदि आप CG Board Assignment 5 Class 12th Economics solution 2022[December] में अच्छा स्कोर करते हो तो main एग्जाम में अच्छे अंक ला सकते हो क्योकि आपकी तैयारी हो जायगी साथ ही बोर्ड एग्जाम में जिसके अंक जुड़ने वाले है छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ( CGBSE ) ने assignment 5 class 12th 2021 जारी कर दिए हैं। CG Board assignment- 05 class- 12th Economics का solution ( Answer) आप देखने वाले हैं।
what is assignments 5 | assignment 5 कैसे बनाये – दोस्तों जैसा की हम जानते है इस वर्ष covid-19 संक्रमण के कारण स्कूल प्रॉपर नहीं लग सके जिसके कारण बोर्ड द्वारा असाइनमेंट वर्क स्टूडेंट को दिया जा रहा है जिसके नंबर हमारे बोर्ड एग्जाम में भी काउंट किये जा सकते है आपको इसे हल्के में नहीं लेना है क्योकि ये आपके बोर्ड एग्जाम के ग्रेड को प्रभावित कर सकता है यह सत्रीय कार्य सभी को करना अनिवार्य है.
- Answer Sheet पर अपना नाम रोल नंबर एकदम सही लिखे
- प्रश्नों के क्रमांक सही डाले
- लिखावट साफ़ सुथरी और सुंदर होनी चाहिए
- जो कुछ Answer में लिखे उसे कोई भी आसानी से पढ़ ले इस बात का ध्यान रखे
- शब्द सीमा का ध्यान रखे
- नये प्रश्न का उत्तर नये पेज से शुरू करे
- यदि जरुरत हो तो चित्र और डायग्राम भी जरुर बनाये
- यदि लिखते समय कोई पैराग्राफ में गलती हो जाए तो उस एक सीधी कट का लाइन खिंच दे ज्यादा कट पिट न करे
- उत्तर लिखने में भाषा की त्रुटी न हो खासकर मात्रा और व्याकरण सम्बन्धी
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल, रायपुर शैक्षणिक सत्र 2021-22 माह दिसम्बर
असाइनमेंट – 05
कक्षा – बारहवीं
विषय – अर्थशास्त्र
पूर्णांक-20
निर्देश :- दिए गए सभी प्रश्नों को निर्देशानुसार हल कीजिए। Instruction :- Attempt all the questions as per given instructions.
प्रश्न 1. वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयाँ बताइए। मुद्रा के आगमन ने इन कठिनाइयो को कैसे दूर किया है?
Q. 1. State The drawbacks of barter system of exchange. How are These
drawbacks removed with The introduction of money?
Ans. प्रत्यक्ष अथवा वस्तु विनिमय प्रणाली
[Direct or Barter Exchange] “वस्त विनिमय, विनिमय की वह प्रक्रिया है जिसमें कम-से-कम दो व्यक्ति अपनी वस्तु अथवा सेवाओं को एक-दूसरे के साथ आदान-प्रदान करके अपनी आवश्यकताओं की वस्तु प्राप्त कर लेते हैं।”
उदाहरणार्थ-माना राम के पास अपनी आवश्यकता से अधिक चावल हैं और हरि के पास अपनी आवश्यकता से अधिक गेहूँ हैं, हरि को चावल चाहिए और राम को गेहूँ चाहिए। अ. हरि और राम का आपस में गेहूँ और चावल को बदल लेना ही वस्तु-विनिमय है।
अत: अपनी अतिरिवत वस्तु के बदले अधिक आवश्यकता की वस्तु को दूसरे पक्षी प्राप्त करने की क्रिया को ही वस्तु विनिमय कहते हैं अथवा कम आवश्यकता की वस्त बदले अधिक आवश्यकता की चरतु का प्रत्यक्ष रूप से आदान-प्रदान ही वस्तु-विनिमय है।
वस्तु विनिराकी प्रख नाथा (कठिनाइयाँ) या सीमाएँ निम्नलिखित हैं…
(1) दोहरे संयोग का अभाव. वस्तु विनिमय का सबसे बड़ा दोष यह है कि किसी ऐसे व्यवित से उस व्यक्ति का सम्पर्क होना चाहिए जिसके पास पहले व्यक्ति की आवश्यकता की वस्तु हो तथा उसे (दूसरे व्यक्ति को) जिस वस्तु की आवश्यकता है वह वस्तु पहले व्यक्ति के पास हो ऐसा संयोग बहुत कठिनाई से ही हो पाता है।
(2) वस्तु विभाजन की समस्या कुछ ऐसी वस्तुएँ भी होती हैं, जिनका विभाजन करना सम्भव नहीं होता। यदि उन्हें विभाजित कर दिया जाए तो उनका मूल्य शून्य हो जाता है। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति के पास घोड़ा है जिसके बदले में विभिन्न प्रकार के जानवर; जैसे—गाय, बकरी, कुत्ता व बिल्ली लेना चाहता है जो कि अलग-अलग व्यक्तियों के पास है तो वह विनिमय हेतु घोड़े का विभाजन नहीं कर सकता।
(3) धन संचय के साधन का अभाव-वस्तु विनिमय प्रणाली में धन संचय के साधन उपलब्ध नहीं होते। मुद्रा का चलन नहीं होता तथा वस्तुओं की नाशवान प्रकृति होने के कारण अधिक दिनों तक तथा अधिक मात्रा में संचित नहीं किया जा सकता। वस्तुओं के खराब होने, फैशन में परिवर्तन होने या अनुपयोगी हो जाने का भय बना रहता है तथा वस्तुएँ स्थान भी अधिक घेरती हैं।
(4) सर्वमान्य मूल्य की समस्या-वस्तु विनिमय में कितनी वस्तु के बदले में कितनी वस्तु का आदान-प्रदान किया जाए इसका कोई निश्चित मापदण्ड न होने के कारण वस्तु विनिमय में एक बड़ी कठिनाई पैदा हो जाती है।
(5) भावी भुगतान की असुविधा वस्तु-विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत उधार लेन-देन का प्रचलन सम्भव नहीं हो सकता। अतः इस प्रणाली में भावी भुगतान की सुविधा का अभाव रहता है।
प्रश्न 2. केन्द्रीय बैंक की परिभाषा दीजिए। केन्द्रीय बैक के क्या कार्य है?
Q. 2. Define a Central bank. What are The functions of Central bank?
Ans. उत्तर-‘केन्द्रीय बैंकिंग’ का आशय किसी राष्ट्र की शीर्ष बैंकिंग तथा मौद्रिक संस्था से है जिसका प्रमुख उद्देश्य राष्ट्र हित में राष्ट्र की समूची बैंकिंग तथा मौद्रिक व्यवस्था का नियमन व नियन्त्रण करना तथा उसे स्थिरता प्रदान करना होता है। रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया भारत की केन्द्रीय बैंक हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के केन्द्रीय बैंकिंग सम्बन्धी कार्य निम्नलिखित हैं
(1) पत्र-मुद्रा का निर्गमन हमारे देश में नोटों के निर्गमन का कार्य रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है। एक रुपये के नोट तथा सिक्कों का निर्गमन छोड़कर यह बैंक अन्य समस्त नोटों का निर्गमन करता है। रिजर्व बैंक द्वारा इस उद्देश्य के लिए न्यूनतम कोष प्रणाली को अपनाया जाता है।
(2) सरकार का बैंकर—रिजर्व बैंक केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बैंकर के रूप में कार्य करता है। इस रूप में यह निम्नलिखित कार्य करता है—(i) सरकार की ओर से जमा राशि स्वीकार करना, (ii) सरकार की ओर से भुगतान करना, (iii) सार्वजनिक ऋणों की व्यवस्था करना, (iv) सरकार का बैंकर होने के नाते सरकारी कोषों का स्थानान्तरण करता है, (v) विदेशी विनिमय का प्रबन्ध करना, तथा (vi) सरकार को विभिन्न विषयों पर सलाह देता है।
(3) बैंकों का बैंकर—रिजर्व बैंक, देश में कार्यरत् सभी बैंकों के बैंक के रूप में कार्य करता है। इस रूप में यह बैंक निम्नलिखित कार्य करता है—(i) बैंकों का नकद कोष अपने पास रखना, (ii) बैंकों को ऋण सुविधाएँ उपलब्ध कराना, तथा (iii) बैंकों की कार्य-प्रणाली पर नियमन व नियन्त्रण रखना।
(4) साख का नियन्त्रण करना—रिजर्व बैंक देश की साख की मात्रा पर नियन्त्रण करता है। साख नियन्त्रण नीति का उद्देश्य देश में कीमत स्तर एवं आर्थिक जगत में होने वाले उतार-चढ़ाव को रोकना होता है। इसके लिए बैंक अनेक विधियाँ प्रयोग में लाता है।
(5) समाशोधन-गृह का कार्य—देश का केन्द्रीय बैंक होने के नाते रिजर्व बैंक सदस्य वकों के लिए समाशोधन-गृह के कार्य भी सम्पन्न करता है। इस प्रकार की सविधाएँ देकर रिजर्व बैंक सदस्य बैंकों में रुपये के स्थानान्तरण को सुविधाजनक बनाता है।
प्रश्न 3. साख निर्माण की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
Q. 3. Explain The limitation of Credit Creation.
Ans. बैंक गुणक रीति से साख का निर्माण करते है, अर्थात् बैंक के पास जितनी जमायें होती है उसके तुलना में कई गुना अधिक साख का निर्माण करते हैं किन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि बैंक असीमित मात्रा में साख का निर्माण कर सकते हैं । वास्तव में बैंक एक सीमा तक साख का निर्माण कर सकते है, उससे अधिक नहीं ।
प्रो. बेनहम ने साख निर्माण की तीन सीमायें बताई हैं:
(i) विधिग्राह्य मुद्रा की मात्रा,
(ii) मुद्रा की तरलता तथा
(iii) मुद्रा दायित्वों का नकद कोष से अनुपात ।
1) मुद्रा की मात्रा (Volume of Currency in Circulation):
बैंकों की साख निर्माण शक्ति को विधिग्राह्य मुद्रा की कुल मात्रा प्रभावित करती है । जिस देश में जितना अधिक विधिग्राह्य मुद्राओं का निर्गमन और प्रचलन होता है वहाँ बैंकों की साख निर्माण की शक्ति उतनी अधिक होती है । इसके विपरीत विधिग्राह्य मुद्रा की मात्रा कम होने पर साख का निर्माण भी कम होता है ।
(2) मुद्रा स्फीति एवं संकुचन (Inflation and Deflation):
मुद्रा स्फीति की दशा में विधिग्राह्य मुद्रा बैंकों के पास अधिक जमा होती है जिससे बैंकों की साख निर्माण क्षमता भी अधिक हो जाती है । इसके विपरीत, मुद्रा संकुचन की दशा में नकद कोष कम हो जाते हैं जिससे बैंकों की साख निर्माण क्षमता कम हो जाती है ।
(3) मुद्रा को नकद रखने की प्रवृत्ति (Habit to Keep Money in Cash):
जिस देश में जनता की नव्य धन रखने की प्रवृति कम से कम होती है, उस देश में बैंक की नकद जमाएँ अधिक हो जाती है । जिससे बैंक की साख निर्माण की शक्ति अधिक हो जाती है । इसके विपरीत जिन देशों में जनता अपने पास अधिक से अधिक मुद्रा रखती है वहाँ बैंक जमाएँ कम हो जाती हैं जिससे बैंक की साख निर्माण क्षमता कम हो जाती है ।
प्रश्न 4. रिजर्व बैंक की स्थापना के उद्देश्यो का वर्णन कीजिए।
Q. 4. Describe The objectives of establishment of The reserve bank.
भारत में 1 अप्रैल, 1935 को रिजर्व बैंक की स्थापना हुई, जो भारत का केन्द्रीय बैंक है।
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के निषिद्ध (वर्जित कार्य) रिजर्व बैंक निम्नलिखित कार्य नहीं कर सकता है
(1) रिजर्व बैंक अपने कार्यालयों को छोड़कर किसी प्रकार की अचल सम्पत्ति को नहीं खरीद सकता है और न ही इस प्रकार की सम्पत्ति के आधार पर ऋण ही दे सकता है।
(2) रिजर्व बैंक अपने निक्षेपों पर किसी प्रकार का ब्याज नहीं दे सकता है।
(3) रिजर्व बैंक किसी भी दशा में बिना किसी जमानत के किसी को भी ऋण नहीं दे सकता है।
(4) किसी कम्पनी के अंश (शेयर) न तो खरीद सकता है और न ही उनको जमानत ऋण दे सकता है।
(5) रिजर्व बैंक किसी प्रकार का व्यापार नहीं खोल सकता, किसी व्यापारिक संस्था में मान्यत: न हिस्सा ले सकता है और न ही उसे आर्थिक सहायता दे सकता है।
(6) रिजर्व बैंक न तो बिल लिख सकता है और न ही स्वीकार कर सकता है, जो माँग शोधनीय न हो।
प्रश्न 5. एक व्यापारिक बैंक साख का सृजन कैसे करता है? समझाइये।
Q. 5. How does credit creation by a commercial bank? Explain.
Ans. (1) जमा स्वीकार करना—बैंक का प्रमुख कार्य जनता से जमा स्वीकार करना है। बैंक जनता से ऐसा धन प्राप्त करते हैं जिसकी उन्हें आवश्यकता नहीं होती या उनके पास जो अतिरिक्त होता है। बैंक ऐसे सभी व्यक्तियों को धन जमा करने के लिए आकर्षित और प्रोत्साहित करते हैं। व्यावसायिक बैंक प्रायः निम्नलिखित खातों में रकम जमा करने की सुविधा देते हैं___
(i) चालू खाता—इस खाते में जमाकर्ता अपनी इच्छानुसार जब चाहे धन जमा कर सकता है और जब चाहे धन निकाल सकता है। इस खाते में जमा रकम का प्रयोग बैंक निवेश-कार्य के लिए नहीं कर सकता। इसलिए इस पर ब्याज भी बिल्कुल कम या शून्य होता है।
(ii) बचत खाता—इसमें धन निकालने और जमा करने के बारे में नियम होते हैं और ग्राहक को बचत जमा करने और निकालने की सुविधा उतनी खुली नहीं होती, जितनी चालू जमा खाते में होती है। इस खाते में ब्याज की दर चालू खाते की अपेक्षा अधिक होती है।
(iii) सावधि जमा खाता—इन खातों में धन एक निश्चित अवधि; जैसे—तीन माह, एक वर्ष, तीन वर्ष आदि के लिए जमा किया जाता है। इन खातों में ब्याज की ऊँची दर दी जाती है।
(2) ऋण देना बैंक का यह दूसरा मुख्य कार्य है। बैंक जो जमा स्वीकार करता है उसका अधिकांश भाग ब्याज प्राप्त करने के लिए उधार दे देता है। बैंक द्वारा ऋण देने के निम्नलिखित ढंग हैं
(i) नकद साख बैंक माल तथा साख पत्र गिरवी रखकर ऋण स्वीकार करता है।
(ii) प्रत्यक्ष ऋण कभी-कभी बैंक बिना गिरवी रखे भी ऋण स्वीकार करता है। ये ऋण व्यक्तिगत जमानत के आधार पर ही दिये जाते हैं।
(iii) अधिविकर्ष बैंक अपने खातेदारों को चालू खातों की जमा धनराशि से एक निश्चित सीमा तक कुछ अधिक राशि निकालने की सुविधा देता है।
(iv) बिलों का भुनाना बैंक अपने ग्राहक के विनिमय पत्रों को निश्चित तिथि से पूर्व ही कुछ बट्टा लेकर भुना लेता है। इस प्रकार ग्राहकों को अपने बिलों का भुगतान देय तिथि स पूर्व ही प्राप्त हो जाता है।